
अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
अम्बेडकरनगर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, बिना उत्तराधिकार निर्धारण हुए भाई के खाते में धनराशि भेजे जाने के मामले में न्यायालय के निर्देश पर केस दर्ज किया गया है।
पीड़ित ने अपने भाई, भतीजे और शाखा प्रबंधक को आरोपी बनाया है। कोतवाली आलापुर के ग्राम निभा निवासी गुरु प्रसाद गुप्त ने न्यायालय में वाद दायर कर बताया था कि उनके पिता राम प्रसाद गुप्त का निधन मई 2024 में हो गया था। गुरुप्रसाद के मुताबिक पिता ने अपनी चल अचल संपत्ति का वारिस उन्हें घोषित किया था।
निधन के समय पिता के खाते में 16.67 लाख रुपये जमा थे। 18 मई को बैंक को रुपये न निकालने के संबंध में पत्र भी भेजा था, जिस पर बैंक ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र लाने की बात कही थी। इस बीच कूटरचित दस्तावेज से सात सितंबर 2024 में भाई त्रिलोकी प्रसाद को बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा रामनगर से 1.74 लाख रुपये का केसीसी दिया गया।
बाद में 10 सितंबर 2024 को पिता के खाते में जमा 16.67 लाख रुपये बिना उत्तराधिकार निर्धारण के बैंक से त्रिलोकी प्रसाद के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए, जबकि वाद कोर्ट में विचाराधीन है। गुरुप्रसाद का आरोप है कि भाई त्रिलोकी ने अपने पुत्र गोमतेश्वर व शाखा प्रबंधक विकास रंजन के साथ मिलकर धोखे से धनराशि ट्रांसफर कराई है।
इस मामले में न्यायालय के आदेश पर पिता-पुत्र व शाखा प्रबंधक के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है। शाखा प्रबंधक विकास रंजन का कहना है कि आरबीआई नियमों के तहत नॉमिनी को भुगतान किया गया है। इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर केस दर्ज किया गया है।