
सड़क सुरक्षा को लेकर ब्लैक स्पाॅट पर समय-समय पर कार्य कराए जाते हैं। समय-समय पर ब्लैक स्पॉट बदलते रहते हैं। -सौरभ सिंह, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी
अम्बेडकरनगर।
सड़कों पर बने ब्लैक स्पॉट हादसे का सबब बने हैं। यहां स्थिति में सुधार तय करने की बजाए जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी लापरवाह बने हैं। पिछले वर्ष हुई जिला रोड सेफ्टी की बैठक में ऐसे आठ ब्लैक स्पाॅट चिह्नित किए गए थे, लेकिन हकीकत में इनकी संख्या इससे दोगुना से अधिक है।इनमें आधा दर्जन प्वाइंट ऐसे हैं, जहां अक्सर कोई न कोई सड़क हादसा होता है। सबसे खतरनाक टांडा बांदा राष्ट्रीय राज्यमार्ग है। यह ब्लॉक स्पाॅट में सबसे अधिक हादसे वाली सड़क है। इसके बावजूद सड़क निर्माण इकाई व यातायात विभाग इस पर हादसे से बचाव के संकेतांक लगाने की जहमत नहीं ले रहा है। हाईवे पर बसखारी मार्ग से लेकर महरूआ तक एक दर्जन से अधिक अवैध कट लोगों ने आवागमन को लेकर बना रखा है।

इससे आए दिन सड़क हादसों मेंं लोगोंं की जान जा रही है। विभागीय सूत्रोंं की माने तो वर्ष 2019 से 2024 तक इस हाईवे पर 100 से अधिक लोग अपनी जान सड़क हादसों में गवां चुके हैं। इसके बावजूद ब्लॉक स्पाॅट वाले स्थलों पर साइन बोर्ड व चेतावनी वाले संकेतांक नजर नहीं आते हैं। शहर से लेकर तहसील क्षेत्रों में तमाम ऐसे स्थान हैं जो प्रशासन के कागजों पर ब्लैक स्पाट वाले हैं। यह स्थान जिंदगी बचाने के लिए कितने खतरनाक हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि महज नौ माह में इन क्षेत्रों में 164 लोगों की जान हादसों में चली गई। यह आंकड़े कोहरा पड़ने से पहले के हैं।ये हैं प्रमुख ब्लैक स्पॉट
टांडा बांदा एनएच 126, टांडा रायबरेली, बसखारी से जहांगीरगंज वाया राजेसुलतानपुर मार्ग, अयोध्या-अकबरपुर वाया शाहगंज जौनपुर जाने वाले मार्ग के अलग-अलग स्थान को ब्लैक स्पाॅट घोषित किया गया है। सड़क हादसों में कमी लाने के लिए दुर्घटनास्थल पर सड़क निर्माण में खामियों को चिह्नित कर उसे दूर करने समेत अन्य प्रक्रिया के तमाम प्रयास महज कागजों तक ही सीमित हैं।
सड़क सुरक्षा को लेकर ब्लैक स्पाॅट पर समय-समय पर कार्य कराए जाते हैं। समय-समय पर ब्लैक स्पॉट बदलते रहते हैं। -सौरभ सिंह, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी