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टांडा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज छात्राओं से चलवाए गए फावड़े: जिन छात्राओं के हाथ में होनी चाहिए किताबें उनके हाथों में फावड़े-शिक्षिका सिर्फ देती रही निर्देश

अवध की शान – आपकी अपनी पहचान

अर्पित सिंह श्रीवास्तव मुख्य सम्पादक एवं पत्रकार

अम्बेडकरनगर जिले में जब शिक्षा के मंदिर में छात्राएं किताबें पढ़ने की जगह छोड़ फावड़ा उठाने को मजबूर हो उठें और शिक्षक सिर्फ निर्देश देने तक सीमित रहें, तो शिक्षा के क्षेत्र में उड़ाए जा रहे मखौल पर सवाल उठना भी लाज़मी है।

ज्ञातव्य हो कि टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से वायरल हुई एक वीडियो की तस्वीर देखने के बाद जनपद की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
बृहस्पतिवार 29 मई को स्कूल परिसर की साफ-सफाई के नाम पर छात्राओं को फावड़े और तसले उठाने पर मजबूर कर दिए। इस भीषण गर्मी के दौरान धूप में छात्राएं फावड़े और तस्ले उठा कर साफ-सफाई करने के लिए शिक्षकों के निर्देश पर मेहनत करते देखी गई।

वायरल वीडियो में देखिए किस तरह फावड़ा और तस्ला उठाने पर मजबूर हो उठी छात्राएं

और मजे की बात छात्राओं के पास खड़ी शिक्षिका निर्देश देती नजर आई। यह नजारा किसी निर्माण स्थल का नहीं बल्कि एक सरकारी स्कूल का था। जहां छात्राओं के हाथों में पढ़ने वाली किताबें नहीं फावड़े और तस्ले थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक उक्त घटना इस स्कूल में नियमित रूप से होती रहती हैं। कभी झाड़ू तो कभी गड्ढे भरवाने का काम छात्राओं से करवाया जाता हैं।

जब की देखा जाए तो शिक्षा विभाग का निर्देश साफ तौर पर कहता है कि विद्यालय परिसर की साफ-सफाई के कम के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त होते हैं। और किसी भी दशा में छात्र-छात्राओं से शारीरिक श्रम नहीं करवाया जा सकता।

उपरोक्त प्रकरण में क्या बोले स्कूल प्रशासन…??

उक्त मामला में जब स्कूल प्रशासन से बात किया गया तो उनका जवाब मिला कि “साफ-सफाई भी शिक्षा का एक हिस्सा हैं। दअरसल मान लिया जाए कि साफ-सफाई भी शिक्षा का एक हिस्सा हैं लेकिन क्या जिनके हाथों में पढ़ने के लिए किताबें होनी चाहिए। उन्हीं से फावड़े और तसले थमा कर साफ-सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। ये कहा तक लाज़मी है।

वही पूरे मामले में क्या बोले जिला विद्यालय निरीक्षक गिरीश चंद्र सिंह

उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा यदि आरोप सत्य पाए गए तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

छात्र-छात्राओं को शिक्षा के मंदिर में शिक्षा देने के बजाय उनसे बाल श्रम यानि मजदूरी करवाना न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि यह नैतिकता का चीरहरण कर सवाल खड़ा कर रहा हैं। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस घटना को कितनी गंभीरता से लेता दिखाई पड़ता हैं। और दोषियों पर क्या कुछ कार्रवाई करता हैं।

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