
अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
अम्बेडकरनगर जनपद की टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत तलवापार बाबा के मुख्य गेट के सामने नगर पालिका परिषद टांडा की नजूल भूमि का खड़ंजा उखाड़कर मंजरे-हक प्राथमिक विद्यालय के सामने एक व्यक्ति द्वारा दुकान बनाने के दृष्टिगत अवैध कब्जा कर निर्माण किया जा रहा था।
उक्त नजूल की भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे के निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोके जाने हेतु मंडल अध्यक्ष टांडा तेजस्वी जायसवाल एवं अन्य संभ्रांत नागरिकों द्वारा लगातार स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई जा रही थी लेकिन नजूल की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के रूप में निर्माण को न तो उपजिलाधिकारी टांडा के राजस्व विभाग की टीम रुकवा रहीं थीं न ही नगर पालिका परिषद टांडा के अधिशासी अधिकारी रुकवाने की जहमत उठा रहे थे।
जब इसकी आवाज को अवध की शान टीम ने सोशल मीडिया के ट्विटर अकाउंट पर वीडियो एवं अवैध निर्माण से संबंधित फोटो को मुख्यमंत्री, से लेकर अन्य पटल और जिलाधिकारी अविनाश सिंह को ट्यूट किया गया उसके पश्चात निर्माण कार्य को उपजिलाधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण एवं कब्जे के कार्य को रुकवा दिया गया है।
गौरतलब हैं कि भाजपा मंडल अध्यक्ष टांडा तेजस्वी जायसवाल के नेतृत्य में भाजपा के नगर संयोजक पिछड़ा मोर्चा घनश्याम यादव ने उपजिलाधिकारी एवं नगर पालिका परिषद टांडा तथा कोतवाल टांडा दीपक सिंह रघुवंशी को लिखित शिकायत 29 जनवरी को दी।
उनके प्रार्थना पत्र पर भी विचार करते हुए उपजिलाधिकारी डॉ शशि शेखर ने निर्माण कार्य को तत्काल संज्ञान में लेते हुए रुकवा दिया और आवश्यक कार्रवाई जांच किए जाने का भी मन उपजिलाधिकारी ने विधिक रूप से तत्काल करने का बना लिया है। ज्ञातव्य हो कि अवध की शान न्यूज़ टीम के पड़ताल अनुसार लेखपाल छोटे लाल ने नजूल भूमि पर अवैध निर्माण विपक्षियों द्वारा कराए जाने के बाबत तय सुधा मोटी रकम वसूल की है, अभी बीते दिनों इन्हीं लेखपाल महोदय द्वारा अवैध भूमि पर कब्जा कर रहे लोगों के पास कब्जा की जा रही नजूल भूमि के पास बैठ कर मलाई कोप्ता खाया जा रहा था, यही नहीं टांडा नगर पालिका के एक नजूल भूमि के पटल को देख रहे कर्मचारी की भी भूमिका संदिग्ध होती प्रतीत हो रही हैं, अगर इन तथ्यों पर विशेष जांच की जाए तो इन सभी के मिलीभगत का एक रोचक खुलासा हो सकता हैं। और खुलासा होने के बाद अगर कड़ी कार्रवाई इन सब पर तय की जाए तो आगे से किसी कर्मचारी एवं अधिकारी की हिम्मत नहीं होगी कि इस प्रकार सरकारी जमीनों पर कब्जा करा दिया जाए।