कमाल की बात यह है, कि तहरीर जिस कांड की दी गई है अभी उसका साक्ष्य ही नहीं मिल रहा

अम्बेडकरनगर। गीता देवी के साथ फिर हो गया कांड। थाना आलापुर में इंदईपुर के बिल्कुल बगल में जुनेदपुर नाम का छोटा सा पुरवा है जहां पर रहती हैं गीता देवी।गीता देवी ने थाने में दी तहरीर कि उनका अश्लील वीडियो बनाकर दो लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।कप्तान साहब ज़रा ध्यान दें।गीता देवी और उनकी बेटी के साथ अक्सर दुराचार की घटनाएं होती रहती है जिसमें मुकदमा लिखा जाता है इनको निर्भया फंड से डेढ़ लाख रुपया भी मिलता है।इस परिवार को पुलिस सुरक्षा मिलनी चाहिए और इतना ही नहीं इनके घर के पास पुलिस चौकी खुलनी चाहिए। बताया जाता है कि वैसे भी इंदईपुर में पुलिस चौकी निर्माण प्रस्तावित है।खबर मिली कि किन्हीं दो लोगों ने गीता देवी का अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है इस आशय की तहरीर गीता देवी ने थाना आलापुर में दी है। थाना अध्यक्ष आलापुर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह तीन दिन से छुट्टी पर है, फिर थाने में संपर्क किया गया तो पता चला कि खबर सही है तहरीर तो मिली है लेकिन जिस वीडियो की बात हो रही है उसका लिंक खुल नहीं रहा है। इसलिए अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। गीता देवी से फिर से वीडियो मांगा गया है। लेकिन कमाल की बात यह है कि तहरीर जिस कांड की दी गई है अभी उसका साक्ष्य ही नहीं मिल रहा है और लोगों के घर दबिश दी जा रही है। पुलिस दोनों टाइम छापेमारी कर रही है। जिन दो लोगों को आरोपी बनाया गया है उनका कहना है कि ऐसा तो कुछ हुआ है उनकी जानकारी में नहीं है। अगर सच में कोई अश्लील वीडियो बनाकर वायरल किया गया होगा तो उसमें वीडियो होना चाहिए जिस नंबर से वायरल किया गया है वह नंबर भी होना चाहिए लेकिन यहां कुछ बताया नहीं जा रहा है सिर्फ यही कहते हैं तहरीर है महिला ने दी है इसलिए प्राथमिकता दी जा रही है। प्रश्न यह है कि महिला की तहरीर पर प्राथमिकता तो ठीक है लेकिन पुरुष होना कबसे अपराध हो गया। कोई महिला बिना सर पैर के बिना किसी साक्ष्य के किसी भी पुरुष पर आरोप लगा दे कि उसका अश्लील वीडियो बनाया है तो पुलिस उस पुरुष का उत्पीड़न शुरू कर देगी? उसके घर जाने लगेगी, उस पुरुष का भी तो परिवार होता है उसका भी तो कुछ मान सम्मान होता होगा। आखिर उस पुरुष के बीवी बच्चे माता पिता उसके बारे में क्या सोचेंगे। मान लो कल को गीता देवी के आरोप गलत निकले फिर क्या पुलिस उन लोगों का सम्मान वापस कर पाएगी जो उनके बार बार के छापेमारी से तार तार हो गया। वैसे भी यह वही गीता देवी है जिनका कहना है कि ३ मई २०२२ को उनके साथ बलात्कार हुआ,२४ जून २०२२ को तहरीर दी कि ३ महीना पहले लखनऊ में छेड़छाड़ हुई, अगस्त २०२२ में इनकी पुत्री के साथ ७ लोगों ने दुराचार करने का प्रयास किया जिसमें मुकदमा दर्ज हुआ। सभी मुकदमों ने समाज कल्याण विभाग से डेढ़ लाख रुपया मिला। इनकी पुत्री ने ठीक दो साल बाद मुकदमे में सुलह कर ली। उसमें कितने का लेन देन हुआ बीच में कुछ पत्रकारों ने खबर चलाई थी कि पड़ताल जारी है। वह भी शायद शीघ्र ही उजागर हो।अभी कुछ दिनों पहले सी न्यूज चैनल पर इनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें गीता देवी ने बताया था कि आर टी आई कार्यकर्ता शाहिद मुनीर को उन्होंने कभी देखा ही नहीं, पुराने कप्तान, सी ओ, दरोगा सिपाही और ब्लॉक प्रमुख और भी अनेकों लोगों के कहने पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। ऐसी महिला की बिना साक्ष्य के दी गई तहरीर पर पुलिस द्वारा छापेमारी करना खुद में सवाल पैदा करता है कि कहीं पुलिस किसी अनुचित लाभ की प्राप्ति के लिए गीता देवी का प्रयोग तो नहीं कर रही है।
पड़ताल जारी…………..