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अम्बेडकरनगर: सैकड़ों डग्गामार बसों का जनपद में हो रहा संचालन, रोडवेज की बसों के राजस्व में लग रहा लाखों का चूना, RTO, ARTO, धारण किए मौन

टांडा से लखनऊ जाने वाली गोल्गेन बस सर्विस की फाइल फोटो

अर्पित सिंह श्रीवास्तव (मुख्यसंपादक की कलम से) अवध न्यूज़

अम्बेडकरनगर/लखनऊ: परिवहन विभाग की लापरवाही से अंबेडकरनगर से भी सैकड़ो बसे लखनऊ के लिए और लगभग दो दर्जन से अधिक बसें दिल्ली के लिए रवाना होती है। जो आजमगढ़ से चलकर दिल्ली के लिए जाती है वाया अंबेडकरनगर होकर लंबी मोटी रकम के डील के कारण परिवहन विभाग इन बसों पर नहीं करता कोई कार्यवाही मिठाई के डब्बे के मिठास में दबा हुआ है परिवहन विभाग एआरटीओ साहब भी उस मिठाई के मिठास में मदमस्त खौफ की दुनिया में सरकारी वेतन लेने के साथ अवैध धनलक्ष्मी की उगाही में मस्तमौला बने बैठे मौन धारण कर तामसबीन बने है।

वही अभी गत दिनों यूपी में ट्रक और वोल्वो की डग्गामार वाहनों का टक्कर हो गया और बस ट्रैक की चपेट में जा घुसी। जिसमें 5 यात्रियों की मौत हुई। बस दिल्ली से आजमगढ़ जा रही थी। यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसा हुआ। कई लोगों के घायल होने की सूचना भी मिली थी।
ज्ञातव्य हो कि टांडा से लखनऊ जाने वाली बसों का संचालन भोर में प्रातः 3 बजे से शुरू होता है दिन भर दर्जनों डग्गामार बसों से ऊपर हर आधी घंटों पर उक्त बसों में सीट से अधिक सवारियां बैठा कर लखनऊ तक बसे फर्राटा भर्ती है, जब की यही नहीं टांडा से आप को गोरखपुर, शाहगंज, सुल्तानपुर, आजमगढ़, दिल्ली आदि तमाम क्षेत्रों तक के लिए डग्गामार बसों की सेवा मिलेंगी उपरोक्त बसे अवैध रूप से टूरिस्ट परमिट ले कर रोडवेज बसों सरकार को मिलने वाले राजस्व का लाखों रुपए प्रतिदिन चूना लगा रहीं हैं। लेकिन अम्बेडकरनगर का परिवहन विभाग सिर्फ कागजों की खानापूर्ति में आएदिन व्यस्थ रहता है, इन्हें रोडवेज बसों के वाहनों पर सवारियों से मिलने वाले सरकार को लाखों रुपए राजस्व प्राप्त होने पर लग रहें चूने की न तो चिंता है, न ही कोई फर्क पड़ता है, कहने को तो परिवहन विभाग के अधिकारी अपनी ईमानदारी की मिशाल पेश करने के उद्देश्यों से सिर्फ कभी कभार चेकिंग अभियान चला कर इक्का दुक्का डग्गामार वाहनों का चालन आदि कर के कार्यवाही से इतश्री ले लेते हैं। इनको न तो ये डग्गामार वाहनों के संचालन दिखाई पड़ते हैं, न तो इनके द्वारा सीट से अधिक सवारियां बैठा कर फर्राटा भरते वाहनों का संचालन दिखाई पड़ रहा हैं।
अगर जनपद का परिवहन विभाग अपनी अवैध धनलक्ष्मी की चिंता छोड़ कर कार्यवाही पर उतारू हो जाएं तो उक्त बसों का संचालन करवा रहे मालिकों की रीढ़ की हड्डी टूट जाएगी और रोडवेज बसों से सरकार को मिलने वाले राजस्व में लाखों रुपए रोज वृद्धि होते दिखाई पड़ने लगेंगी।
उल्लेखनीय हैं कि अम्बेडकरनगर में भी डग्गामार वाहनों से अनेकों बार गंभीर एक्सीडेंट होने के मामले में ऐसी घटना घटित हो चुकी है।
फिर भी परिवहन विभाग की आंखें नहीं खुल रही हैं।

बीते वर्षों सर्दियों के दिन में कोहरे के कारण टांडा से लखनऊ चलने वाली गोल्डेन बस सर्विस का हुआ था एक्सीडेंट जिसमें कई लोग घायल हुए थे और एक की हालत नाजुक होने से उसे अयोध्या मंडल के अस्पताल में किया गया था रिफर…..लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन फिर भी नहीं कर पाया कार्यवाही…..

आप को बता दे इसी प्रकार पूरे जनपद में डग्गामार वाहनों का संचालन अवैध रूप से निर्भीक हो कर पुलिस और परिवहन विभाग की मिलीभगत से संचालित हो रहा हैं।
इसका मुख्य कारण यह भी है, जनपद अम्बेडकरनगर में एआरटीओ का सिपाही और रोडवेज के कर्मचारी भी इस भ्रष्टाचार में शामिल है।
हर आधी घंटों में संचालित होती है। टूरिस्ट परमिट वाली डग्गामार बसें और परिवहन विभाग के अधिकारियों को दिखाई नहीं पड़ता है, एआरटीओ ऑफिस कार्यालय के सामने से कोतवाली थानों के सामने से पुलिस चौकी गेट के सामने से संचालित होती है।
ऐसी बसे फिर भी जिला प्रशासन की आंखों में बसे नहीं नजर आ रही हैं। आखिर ऐसी घटनाओं का जिम्मेदार कौन यदि शासन प्रशासन कार्रवाई किया होता तो आज इतने लोगों की जान बच जाती किसी का सुहाग बचता तो किसी का दीपक किसी बेटे का छाया एवं दूसरा फायदा रोडवेज बसों में सवारियों की किल्लत भी खत्म होती तथा रोजाना रोडवेज की बसों से सरकार को मिलने वाले लाखों रुपए के राजस्व में वृद्धि भी होने के आसार जागते प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगते लेकिन और तो और सबसे बड़े मज़े की बात यहां है कि टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत सरकारी रोडवेज के निकट से ही डग्गामार वाहनों में सवारियां बैठाई जाती है, उपरोक्त स्थान पर सवारियों के लिए कई ऑफिसों को बुकिंग करने हेतु खोला गया है। बकायदे यहां पर सवारियों के बुकिंग करने के लिए कर्मचारियों की तैनाती भी की गई है। आप को बता दे कि इन डग्गामार वाहनों का संचालन टांडा रोडवेज से होता है, और ये बसे खुलेआम, बेखौफ होकर दिनदहाड़े थाना अलीगंज पुलिस के नाक के नीचे से होकर गुजरती हैं। लेकिन उक्त थाने के थानेदारों से लेकर उक्त थाने में मौजूद पुलिस कर्मियों की भी निगाहें इन पर नहीं पड़ती अगर पड़ती भी हैं। तो धनलक्ष्मी का प्रत्येक हफ्ते आगमन होने से नजरंदाज कर दिया जाता हैं। आखिर थाना अलीगंज के बाद भी अनेकों थाने और पुलिस चौकियां रस्ते में पड़ती हैं। किसी को भी टूरिस्ट परमिट लेकर इन डग्गामार वाहनों के फर्राटा भरने के साथ हो रहे संचालन नहीं दिखाई पड़ रहें हैं। कारण सिर्फ और सिर्फ धनलक्ष्मी है, जो डग्गामार वाहनों के अवैध रूप से संचालित होने से रोकने में रोड़ा बन रही हैं।

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