
सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार चरम पर, दावों में गुणवत्ता, हकीकत में गुण पर बट्टा
अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
अम्बेडकरनगर जिले के पीडब्ल्यूडी द्वारा जनपद में सड़कों के निर्माण पर विभिन्न मदों से हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे। पथ निर्माण विभाग से लेकर नगर पालिका तक सड़कों के निर्माण में लगे हैं। फिर भी, सड़कों की हालत ऐसी कि शहरवासी और ग्रामीण इन पर हिचकोले खा रहे।
जनपद मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर दूरी पर कटेहरी विकासखंड के तिवारीपुर से 500 मीटर आगे मुस्लिम पट्टी पर हो रहे सड़क के निर्माण में तय मानकों व गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा। निगरानी करने वाले पता नहीं कहां सोए रहते हैं।
ठेकेदार अधिक मुनाफा कमाने व कमीशन के चक्कर में निर्माण कार्य की गुणवत्ता को ताक पर रख रहे हैं। अक्सर ग्राम सभाओं में निर्माण होने वाले सड़कों पर यह देखने को मिलता है कि सड़क निर्माण के दौरान योजना से संबंधित शिलापट्ट नहीं लगाया जाता। अगर, लग भी जाता है तो उसपर योजना की विस्तृत जानकारी नहीं होती।
विभागीय अधिकारी व ठेकेदार प्रस्तावित सड़क की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई, निर्माण सामग्री के मिश्रण के अनुपात, अवधि तथा लागत आदि की जानकारी नहीं देते। यदि कोई निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत करता भी है, तो अधिकारी संज्ञान नहीं लेते। इसका परिणाम यह होता है कि सड़कें बनने के साथ ही टूटने लगती हैं और जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है।
जिन सड़कों के निर्माण के लिए भाग-दौड़ करते-करते ग्रामवासियों की चप्पलें घिस जाती हैं, अधिकारियों से जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगानी पड़ती है। जिन सड़कों के निर्माण पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं, उन्हें कभी जलापूर्ति पाइपलाइन तो कभी केबल बिछाने के लिए काट दिया जाता है। काटी गईं सड़कों की मरम्मत न कर ऐसे ही छोड़ दिया जाता है।
ये घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल किए जाने की पोल खोल रही हैं। वहीं, सरकारी मशीनरी की अनदेखी के चलते सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल जारी है। निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। इसके बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है।
इतना ही नहीं ठेकेदार इतनी घटिया सड़क बना रहा है कि इस सड़क में लोग अभी चलने से कतरा रहे हैं। बड़ी वजह यह है कि सड़क विभागीय अफसरों के द्वारा इसकी मॉनिटरिंग नहीं की जाती। जिसके चलते लोगों का आक्रोश पनप रहा है।