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अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
ठग ने ही दी थाने में तहरीर
अम्बेडकरनगर। स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर जनपद के सैकड़ों लोगों से 50 लाख से अधिक ठगी की शेर बहादुर सिंह पुत्र नरेंद्र बहादुर सिंह ग्राम आजनपारा पोस्ट परुइया आश्रम जिला अंबेडकर नगर रहने वाले ने थाना बसखारी में तहरीर दी।
मीडिया पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया
शेर बहादुर सिंह पुत्र नरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा दी गई तहरीर के बारे में थाना बसखारी से जानकारी ली गई तो पता चला कि तहरीर मिली है और दोनों पक्षों को बुलाया गया है। जब इस मामले में मीडिया ने खंगालना शुरू किया तो चौंकाने वाला सच सामने आया।
शेर बहादुर सिंह पुत्र नरेंद्र बहादुर सिंह ग्राम आजनपारा पोस्ट परुइया आश्रम जिला अंबेडकर नगर ने श्री नीरज शुक्ल विशेष सचिव महोदय चिकित्सा अनुभाग 2 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा दिनांक 28 दिसंबर 2020 को जारी पत्र दिखाकर जनपद के सैकड़ों लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर पांच-पांच लाख रुपए की वसूली की और आज तक किसी को नौकरी नहीं दिलाई। जब लोगों ने अपना पैसा वापस मांगना शुरू किया तो पूरे फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड शेर बहादुर ने एक नई कहानी गढ़कर पुलिस में किसी अन्य को आरोपी बनाकर तहरीर दे दी।
पुलिस प्रशासन निष्पक्षता से सघन जांच की तो तहरीर देने वाला जाएगा सलाखों के पीछे
मीडिया पड़ताल में सामने आया कि नीरज शुक्ल विशेष सचिव महोदय चिकित्सा अनुभाग 2 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा दिनांक 28 दिसंबर 2020 को जारी पत्र जिसमें अम्बेडकरनगर से प्राधिकृत पदाधिकारी शेर बहादुर सिंह पुत्र नरेंद्र बहादुर सिंह का नाम है। उसे ही दिखाकर शेर बहादुर भोले भाले बेरोजगारों को अपना शिकार बनाने में कामयाब हुआ।
थाने में तहरीर देने के पीछे का खेल
नौकरी न मिलने पर जब लोगों ने अपना पैसा वापस मांगना शुरू किया तो शेर बहादुर पैसा मांगने वाले को बताता है कि मेरा पैसा किसी के पास है वह दे नहीं रहा है। मैने थाने में तहरीर दी है पुलिस जल्द ही पैसा दिला देगी तब आप लोगों का पैसा वापस कर देंगे। उसने तहरीर में उन लोगों को पीड़ित दर्शाकर शिकायत दी है जो शेरबहादुर को पैसा दिए है और उसी से पीड़ित है।

अवैध वसूली के लिए फर्जी पत्र का सहारा लिया
शेर बहादुर ने गोरखधंधे के लिए श्री नीरज शुक्ल विशेष सचिव महोदय चिकित्सा अनुभाग 2 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ के दिनांक 28 दिसंबर 2020 के जिस पत्र को दिखाकर बेरोजगारों को लूटा है वह पत्र भी चालबाजी से की गई फोटोकॉपी से बनाया गया लगता है।
पुलिस शासन के फर्जी पत्र की जांच से करेगी खुलासा
पुलिस उसी शासन के पत्र को सुराग बनकर जांच करते हुए मामले की तह तक पहुंच सकती है उसके बाद ही पूरे प्रकरण का खुलासा होगा और बेरोजगारों को उनका पैसा वापस मिल सकेगा।
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