अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक)
अम्बेडकरनगर जिले में सम्मनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत तुलसीपुर गांव में 28 दिसंबर 2007 को इंद्रबली ने पत्नी शीला, बेटी दीपाक्षी और बेटे गोलू पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आगलगाकर दर्दनाक मौत दी थी।
उसकी पत्नी और दो बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी। उक्त हत्याकांड का प्रकरण उस समय समूचे जनपद में सनसनीखेज वारदात के रूप में बना हुआ था। इसी प्रकरण की सुनवाई करते हुए कोर्ट/अदालत ने 28 फरवरी 2011 में इन्द्रिबली को हत्याकांड का दोषी करार करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
तब से वह लखनऊ की केंद्रीय कारागार में सजा भुगत रहा हैं। इसी सजा के बीच हत्या के दोषी इंद्रजीत ने समयपूर्व रिहाई के लिए आवेदन किया था।
प्रोबेशन बोर्ड ने भी जताई रिहाई मामले में कड़ी आपत्ति
हत्याकांड के दोषी इंदबली की रिहाई याचिका पर विचार करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नकारात्मक संस्तुतियां दीं। प्रोबेशन बोर्ड ने स्पष्ट किया कि पत्नी और बच्चों को जिंदा जला देना सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ है। और ऐसे प्रकरण में रिहाई याचिका पर रिहाई देना न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली व गंभीरता पर सवाल खड़ा कर सकता हैं।
राज्यपाल ने भी रिहाई याचिका को किया आस्वीकार
प्रोबेशन बोर्ड की आपत्तियों के दृष्टिगत ध्यान में रखते हुए राज्यपाल ने हत्याकांड के दोषी इंदबली की रिहाई याचिका फॉर्म-ए के अंतर्गत खारिज कर दी। उक्त संबंध में आदेश संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह द्वारा जारी कर दिया गया है। हालांकि पत्नी समेत दो बच्चों को जिंदा जला कर मारने वाले हत्याकांड के दोषी इंदबली को आजीवन कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।