अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक)
अम्बेडकरनगर जिले की टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत पोखरवा चंदौली गांव में लगभग 100 एकड़ से अधिक के क्षेत्र फल में फैले जंगलों में एक सप्ताह में दूसरी बार भीषण आग लगने के बाद वन विभाग की बड़ी लापरवाही खुलकर सामने आ गई।
जंगलों में आग लगने की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने काफी मस्कत करते हुए आग बुझाने पर काबू पाया। ज्ञातव्य हो कि रविवार 11 मई की सुबह लगभग 11 बजे दिन में वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही के कारण 100 एकड़ से अधिक क्षेत्र फल में फैले जंगलों में अचानक आग लग गई।
इस दौरान मौके पर वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की मौजूदगी नदारत रहीं। यदि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज होती तो आग लगने जैसा इतना बड़ा हादसा होने से बचाया जा सकता था। सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र फल में फैले जंगलों की देख-रख व रखवाली तथा सुरक्षा व्यवस्था के लिए वर्षों से कोई माली की तैनाती नहीं है।
ऐसे में सवाल उठना भी लाज़मी हो गया है कि इतने बड़े जंगलों हेतु वन संपदा को कैसे संरक्षित किया जाए नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय लोगों ने बताया कि आए दिन वन विभाग के उक्त जंगलों से सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध न होने के कारण लकड़ी माफियाओं द्वारा कीमती लकड़ियों की चोरी वन विभाग की मिली भगत से होती रहती हैं।
उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह में इस जंगल में दूसरी बार आग लगने जैसा वाकया सामने आया है। वन विभाग के क्षेत्रीय रेंजर अनुराग आनंद राय के ऊपर जबरदस्त सवालिया निशाना बना हुआ हैं। 100 एकड़ से अधिक क्षेत्र फल में फैले जंगलों में बताए जाता हैं कि इस जंगल में हिरण, बारहसिंगा और जंगली सूअरों जैसे तमाम जंगली जीव जंतु का बसेरा बना रहता हैं।
इन जंगली जीव जंतु के कारण स्थानीय तमाम लोगों की इनके चपेट में आने से मौत भी हो चुकी हैं। वीडियो के माध्यम से आप खुद सुन सकते हैं कि इस जंगल में आग लगने के दौरान फायर ब्रिगेड के प्रभारी अधिकारी टांडा घनश्याम यादव और स्थानीय ग्रामीणों ने क्या कुछ कहा।
उक्त संबंध में अवध की शान न्यूज़ टीम से वार्ता के दौरान क्या कुछ बोले जिला प्रभागीय वन अधिकारी
जब उक्त प्रकरण में अवध की शान न्यूज़ टीम ने जिला प्रभागीय वन अधिकारी से दूरभाष के जरिए वार्तालाप की गई तो उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा पराली जलाने से वन विभाग के जंगलों में आग लगी है। उनके खिलाफ जांच करा कर मुकदमा लिखवाया जाएगा। जब उनसे पूछताछ में जानकारी ली गई कि आप के विभाग द्वारा 100 एकड़ से अधिक क्षेत्र फल में फैले जंगलों की देख-रख व रखवाली करने हेतु किसी माली की तैनाती नहीं की गई है।
तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर जंगलों की देख-रख व सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्यों से मौका मुआयना किया जाता हैं। ऐसे में एक सवाल तो वन विभाग के खिलाफ खड़ा होना लाज़मी है कि वन संपदा के अंतर्गत जंगलों की देख-रख व रखवाली की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए किसी कर्मचारी की तैनाती जंगलों में होनी चाहिए। तैनाती न होने की दशा में असुरक्षित जंगलों की जिम्मेदारी किसकी बनती हैं, इस बात को दरकिनार करते हुए किसानों के ऊपर ठीकरा फोड़ना कहा तक न्याय संगत है।