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डीएम साहब: अंबेडकरनगर में डग्गामार बसों का बोलबाला, परिवहन विभाग सवालों के घेरे में-क्या हो पाएगा इनमें सुधार

अवध की शान – आपकी अपनी पहचान

अर्पित सिंह श्रीवास्तव मुख्य सम्पादक एवं पत्रकार

अंबेडकरनगर (संवाददाता): जिले में परिवहन विभाग कि व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जिलेभर में 100 से अधिक डग्गामार बसें बेधड़क दौड़ रही हैं, जिनके पास न वैध परमिट है, न बीमा और न ही फिटनेस प्रमाणपत्र। ये बसें जहां आम जनता की सुरक्षा को खतरे में डाल रही हैं, वहीं प्रतिदिन सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का चूना भी लगा रही हैं।

सबसे हैरानी की बात यह है कि यह सारा अवैध संचालन परिवहन विभाग की आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी केवल मूकदर्शक बने हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे खेल में विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। आरोप है कि डग्गामार बस संचालक हर माह एक मोटी रकम “सिस्टम” को अर्पित करते हैं, जिसके एवज में न तो कोई चेकिंग होती है और न ही चालान।

जन सूचना ने खोली पोल, एआरटीओ पर उठे सवाल

हाल ही में एक जन सूचना अधिनियम (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी ने पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। परिवहन विभाग ने जवाब में बताया कि अंबेडकरनगर जनपद में केवल एक बस का ही पंजीकरण है। जब मीडिया ने उस बस के नंबर की जांच की, तो पता चला कि वह बस आजमगढ़ में चल रही है। यानी, जिले में कोई भी वैध रजिस्टर्ड बस नहीं है – फिर भी जिले में दर्जनों डग्गामार बसें कैसे चल रही हैं?

इस खुलासे के बाद जब जिले के एआरटीओ से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने स्पष्ट उत्तर देने से इंकार कर दिया और केवल इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “आप आयोग से संपर्क करें”। एआरटीओ की यह चुप्पी और टालमटोल, विभाग में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार और लापरवाही की ओर इशारा करती है।

जनहित और सरकारी खजाने दोनों को खतरा

डग्गामार बसें न केवल वैध बस ऑपरेटरों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचा रही हैं, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बनी हुई हैं। बिना फिटनेस और बीमा के बसों का संचालन किसी बड़े हादसे का निमंत्रण है। इसके बावजूद जिला प्रशासन और परिवहन विभाग की निष्क्रियता समझ से परे है।

क्या उठेंगे सख्त कदम या चलता रहेगा काला कारोबार?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन और परिवहन विभाग इस गोरखधंधे पर लगाम लगाएंगे या फिर भ्रष्टाचार और अनदेखी का यह खेल यूं ही चलता रहेगा? एआरटीओ जैसे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी? जनता और वैध परिवहन संचालकों के मन में यही प्रश्न लगातार उठ रहा है।

यदि शीघ्र कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अवैध व्यवस्था जिले की छवि और कानून व्यवस्था दोनों को खोखला कर देगी। अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।

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