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टांडा तहसील क्षेत्र में जमकर प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रही लूटपाट: अपात्र को पात्र की श्रेणी में धनउगाही कर दी जा रही जगह, आवास योजना में लगे सर्वेयरों ने पाल रखे वार्ड वार दलाल

अवध की शान – आपकी अपनी पहचान

अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक

अम्बेडकरनगर जिले की टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में जमकर की जा रही लूटपाट, अवैध धनउगाही कर सर्वेयरों द्वारा अपात्र को पात्र की श्रेणी में दिया जा रहा दर्जा जो पात्र हैं, उनको खानी पड़ रही दर-दर की ठोकरें।

दबी जुबान से गरीब पात्र लाभार्थी जिनको नहीं मिल पा रहा आवास योजना शहरी का लाभ वह बताते हैं कि सरकार हम लोग जब अपने छप्परों, टिनशेड को पक्की छत में तब्दील करने के लिए सरकार द्वारा संचालित की जा रही प्रधानमंत्री आवास योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं, तो हम लोगों से सर्वेयरों के द्वारा पाले गए दलाल बीस से तीस हजार रुपए तक अवैध धन की मांग करते हैं। अगर हम लोगों के पास होता इतना पैसा तो काहे को लेते सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का लाभ।

अब सवाल तो उन गरीबों का बड़ा लेकिन सोचे कौन एसे में कहना भी लाज़मी है कि अपात्र लोगो के पास धन की कमी नहीं इस लिए सर्वेयरों के द्वारा पाले गए दलाल अपात्र लोगो की जानकारी सर्वेयरों को देते हैं। और उनसे लंबी डील करा कर उन्हें सरकार के द्वारा दिए जा रहे मुफ्त में 2 लाख 50 हजार की धन राशि किस्तों में आसानी से ऊपर से नीचे तक मिली भगत करा कर दिलवा दी जाती हैं।

बड़ी भयावहक स्थित सूबे की सत्ता में बनी हुई हैं। जब की मुख्यमंत्री के द्वारा जीरोटॉलरेंस की नीति अपनाए जाने का लगातार आदेश दिया जा रहा हैं। लेकिन भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मुद्दा बेअसर होता जा रहा हैं।

कैसे करते हैं, सर्वेयर प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का लाभ अपात्र लोगो को दिलवाने में खेल..?

अब समझने वाली बात होंगी कि जब कोई अपात्र व्यक्ति सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत मुफ्त में 2 लाख 50 हजार रुपए का लाभ लेने का मन बनाता हैं, तो सर्वेयरों द्वारा पाले गए दलाल से उनका संपर्क होता है, यह दलाल नगर पालिका परिषद टांडा के 25 वार्डो में कुल प्रत्येक वार्ड पर दो दलाल काम कर रहे हैं। अब इनके द्वारा अपात्र लोगो को लाभ पहुंचाने के लिए उनके पत्नियों के नाम से आवास योजना का फॉर्म भरने को कहा जाता हैं।

इसके बाद उनकी खाली यानी परती भूमि पर सर्वे करा कर सूची में नाम औपचारिकता अवैध धन की पूर्ति करते हुए भेज दी जाती हैं। और इनसे सूत्र बताते हैं कि लगभग बीस से तीस हजार रुपए किस्तों में पैसे आने के पहले ही देने की बात कहीं जाती हैं, दलालों के मनमाने ढंग से उनके द्वारा धन की पूर्ति भी कर दी जाती हैं।

और आलम यह है कि गरीब पात्र लाभार्थी आवास योजना शहरी का लाभ उठाने के लिए दर-दर की ठोकर खाने पर विवश हो उठा है। लेकिन उनकी सुधी लेने वाला कोई उच्च अधिकारियों में से नहीं दिखाई पड़ रहा हैं। बस जिलाधिकारी के द्वारा जब इस योजना के तहत समीक्षा बैठक की जाती हैं तो उसमें बड़े कड़े निर्देश जारी किए जाते हैं कि सरकार की योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए निष्पक्षता, ईमानदारी, और कर्तवनिष्ठ से लाभ प्रदान किया जाए। इन सब निर्देशों का पालन बस समीक्षा बैठक तक ही सीमित रहता हैं।

उसके बाद फिर धरातल पर वही भ्रष्टाचार कायम रहता हैं। एक कहावत चरितार्थ होती हैं कि “न, बाप, न, भैया, सबसे बड़ा रुपैया” हालांकि इस समय नवीन सूची में भी लंबे पैमाने पर अपात्रों को आवास योजना शहरी का लाभ दिलवाने के लिए नाम औपचारिकता पूरी कर भेजी गई हैं। अगर इन सभी की जांच पड़ताल ईमानदारी से करा दी जाए तो सरकारी खजाने के बंदरबाट की बहुत बड़ी पोल अम्बेडकरनगर जिले में खुलकर सामने आ जाएंगी।

ज्ञातव्य हो कि सन् 2014 से लेकर सन् 2024 तक में मिले लाभार्थियों के आवास योजना शहरी की विधिवत जांच पड़ताल शुरू करा दी जाए तो बड़े पैमाने पर करोड़ों के घोटाले सामने आयेंगे जिसमें सर्वेयरों ने दलालों और जिम्मेदारों से मिलकर अपात्र लोगो को लाभ पहुंचाने का काम किया है। हालांकि अगर समय रहते सरकार के द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का लाभ गरीब पात्र लाभार्थी को सूचित पूर्ण रूप से और ईमानदारी से नहीं दिलाई गई तो आने वाले समय में सरकार की छवि पर बहुत खराब असर पड़ेगा।

ऐसा हम नहीं कह रहे ये गरीब लाभार्थियों की दबी जुबान से आवाज निकलती कह रही हैं। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो 2014 से 2023 तक सैकड़ों ऐसे आवास टांडा नगर पालिका परिषद के वार्डो में पास हुए हैं जो पक्के बने मकानों के ऊपर पास हो गए हैं। और जिम्मेदारों को पता होते हुए उन्होंने चुप्पी साध के रखी इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि बिना निजी स्वार्थ के उनकी चुप्पी बरकरार नहीं रही होगी। शेष अगले अंक में

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