अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
अम्बेडकरनगर जिले के शहर में क्षमता से अधिक नौनिहालों को मानक की अनदेखी कर खुलेआम बैठाकर ई रिक्शे और स्कूली वैन सड़कों पर दौड़ रहीं हैं, लेकिन फिर भी अधिकारी कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं, जो बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ई रिक्शों में आगे की सीट पर भी इतने ज्यादा बच्चे भरे हुए होते हैं कि चालक को हैंडल तक मोड़ने में दिक्कत होती है।
जिले में 1200 से अधिक स्कूली वाहन पंजीकृत हैं। इतने वाहन स्कूली बच्चों को ढोने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में नियमों को ताक पर रख ई रिक्शों से स्कूली बच्चों को ढोया जा रहा है। जिन ई रिक्शों से बच्चों को ढोया जा रहा है। उसमें से एक भी स्कूली ई रिक्शा कवर्ड नहीं है।
सड़कों पर दौड़ने वाले नाम मात्र के ही ई रिक्शा पूरी तरह से सुरक्षा के मानकों को पूरा कर रहे होंगे। पूरी तरह से खुले ई रिक्शा के कारण बच्चों के गिरने की संभावना रहती है। इन रिक्शों पर बच्चों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है।
इसके बाद भी अभिभावक अपने बच्चों को इन वाहनों से असुरिक्षत सफर करा रहे हैं। मजे की बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारी सब देखकर अनजान बने हैं। यह स्थिति तब बनी हुई है जब ई रिक्शा के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
मीडिया ने बृहस्पतिवार को शहर में पड़ताल की तो यही हकीकत सामने आई। ई रिक्शा में महज चार लोगों के बैठने की जगह होती है, लेकिन स्कूली बच्चों को ले जाते समय ई रिक्शा चालक बीच की दोनों सीटों पर तीन-तीन, पीछे की ओर अतिरिक्त सीट लगाकर तीन और चालक सीट के दोनों ओर एक-एक बच्चे को बैठाकर चलते हैं। यही हाल दोनों तरह के ऑटो रिक्शा का भी है। बच्चों को बीच में टेबल रखकर बैठाया जाता है।
शहर के अधिकतर स्कूलों में बस सुविधा है, लेकिन सभी बच्चे यह सुविधा नहीं लेते हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां बस व अन्य किसी प्रकार का परिवहन की सुविधा ही नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों के बाहर बच्चों की छुट्टी होते ही ई रिक्शा व अन्य टैक्सियोंं की भीड़ स्कूल बच्चों को ले जाने के लिए लगी रहती है। स्कूल संचालकों ने छोटे वैन में अतिरिक्त सीटें लगवा रखी हैं, जिसमें क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाए जा रहे हैं।
जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। वहीं दूसरी तरफ अभिभावक भी बच्चों की सुरक्षा की परवाह किए बिना इन वाहनों पर बच्चों को भेज रहे है। स्कूल में ई रिक्शा चलाने का प्रावधान नहीं है। अभिभावक ही बच्चों को ई रिक्शे पर भेज रहे हैं। चालक वाली सीट पर बच्चों को बैठाना गलत है। अनफिट वाहनों से बच्चों को ढोने पर कार्रवाई की जाती है। जल्द ही ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। – सतेंद्र कुमार यादव, एआरटीओ