अवध की शान – आपकी अपनी पहचान
अर्पित सिंह श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य सम्पादक
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। और कहा कि पिछले 100 वर्षों से उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को केवल पंजीकरण के बाद ही मान्यता दी जाती हैं। मौखिक रूप से नहीं।
इस लिए वक्फ बोर्ड के अधिनियम में संशोधन जरूरी था। केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम होंगे, यह एक ऐसा उपाय है जो समावेशिता का प्रतिनिधित्व करता हैं। और वक्फ के प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करता है। केंद्र ने कहा कि जानबूझकर या गलत तरीके से वक्फ संपत्तियों के रूप में उल्लिखित सरकारी भूमि कि पहचान राजस्व रिकॉर्ड को सही करने की दिशा में है। और सरकारी भूमि को किसी भी धार्मिक समुदाय से संबंधित भूमि नहीं माना जा सकता।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जाने जवाब में क्या लिखा
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब के जरिए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग कि हैं। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में उल्लिखित किया है कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी कानून के प्रावधान पर आंशिक रूप से अंतरिम रोक नहीं लगा सकती। न्यायिक समीक्षा करते हुए पूरे कानून पर रोक लगानी होती हैं।
इसके अलावा ये भी माना जाता हैं कि संसद ने जो कानून ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सुझाव के माध्यम से बनाया है। वो सोच समझकर बनाया होगा। वक्फ मुस्लिमों की कोई धार्मिक संस्था नहीं बल्कि वैधानिक निकाय है।
यह भी जाने केंद्र सरकार ने आगे क्या कही अपनी बात..??
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ संशोधन कानून के मुताबिक मुतवल्ली का काम धर्म निरपेक्ष होता हैं, न कि धार्मिक यह कानून निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को परिलक्षित करता हैं। इस कानून को बहुमत के आधार पर पारित किया गया है। इस बिल को पारित करने से पहले संयुक्त संसदीय समिति की 36 बैठके संपन्न हुई हैं। देश के 97 लाख से अधिक हितधारकों ने अपना सुझाव और ज्ञापन दिए हैं। समित ने देश के दस बड़े शहरों का दौरा किया और जनता के बीच जाकर उनके विचार लिए गए हैं।
विस्तार से जाने क्या था पूरा मामला…??
आप को विस्तार से बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लोकसभा और राजसभा से पास कर दिया गया है। साथ ही इस नए कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मंजूरी दे दी है। इसी प्रकरण को लेकर कई नेताओं और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को असंवैधानिक बताया था।
इसी मामले पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। जिसके तहत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है।